लेखनी प्रतियोगिता -14-Jan-2023
मकर संक्रान्ति
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मकर संक्रांति का पवित्र त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाता है। इसको मनाने के बिषय में बहुत कथाऐ प्रचिलित है।
14 जनवरी को सूर्य देवता धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है इस लिए यह त्योंहार मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इसके बाद सूर्य उत्तरायण होने लगते है।
दूसरी कथा के अनुसार भागीरथ इसी दिन गंगा मैया को धरती पर लाये थे। तबसे जहाँ कपिल मुनि का आश्रम है वहाँ आज बहुत बडा़ मेला लगता है। वह गंगासागर के नाम से विख्यात है।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना, दान और पूजा करने का विशेष महत्व है इसी दिन सूर्य देवता अपने पुत्र शनि देव को मनाने के लिए उनके घर जाते हैं।
मकर संक्रांति की कथा के अनुसार एक बार राजा सागर ने अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किया और उस अनुष्ठान में अपने घोड़े को विश्व विजय के लिए खुला छोड़ दिया। तब इंद्रदेव ने उस अश्व को छल कर कुपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। यह बात जब राजा सागर ने जानी, तो वह कुपिल मुनि के आश्रम 60,000 पुत्र युद्ध को लेकर वहां पहुंच गए। यह सब देखकर कुपिल मुनि को क्रोध आ गया और उन्हें श्राप देकर सभी को भस्म कर दिया।
तब बताते है कि राजा सागर के पोते राजकुमार अंशुमान ने कुपिल मुनि के आश्रम में जाकर उनसे विनती की और अपने परिजनों के उद्धार के लिए समाधान पूछा। तब कुपिल मुनि ने कहा यदि तुम अपने परिजनों का उद्धार करना चाहते हो, तो तुम्हें गंगा माता को धरती पर लाना होगा।
यह सुनकर राजकुमार अंशुमान ने मां गंगा को धरती पर लाने की प्रतिज्ञा ली और उन्होंने कठिन तपस्या करनी शुरू कर दी। राजकुमार अंशुमान के कठिन तपस्या के बाद भी मां गंगा धरती पर नहीं आई। कठिन तपस्या की वजह से राजकुमार अंशुमान की जान चली गई।
इसके बाद राजा दिलीप के पुत्र और अंशुमान के पौत्र भगीरथ ने घोर तपस्या की। उनकी तपस्या को देखकर गंगा माता बेहद प्रसन्न हो गई।
लेकिन गंगा माता ने भागीरथ को समझाया कि यदिमैं सीधी धरती पर आई तो इसका बेग इतना तेज होगा कि पृथ्वी इसे सहन नहीं कर सकेगी और वहाँ प्रलय आजायेगी।
गंगा माँ को बांधकर रखने की क्षमता सिर्फ भोलेनाथ में है । इस वजह से आप शिव को तपस्या से प्रसन्न करो ।तब भागीरथ ने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करनी शुरू कर दी। भागीरथ की तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए और भगीरथ को मनवांछित वर मांगने को कहा।
तब भागीरथ ने भोलेनाथ से गंगा माता को अपने जटा में बाँधकर धरती पर धीरे-धीरे प्रवाहित करने की विनती की। तब भोलेनाथ ने भगीरथ की यह इच्छा पूर्ण की। भागीरथ ने मां गंगा को कुपिल मुनि के आश्रम आने का अनुरोध किया। कुपिल मुनि के आश्रम में भागीरथ के पूर्वजों की राख रखी थी। पौराणिक कथा के अनुसार गंगा माता के पावन जल से भागीरथ के पूर्वजों का उद्धार हो गया। भागीरथ के पूर्वजों का उद्धार करने के बाद गंगा माता सागर में जाकर मिल गई। शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही गंगा माता कुपिल मुनि के आश्रम पहुंची थी। इसलिए हिंदू शास्त्र में इस दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन लोग गंगासागर जाकर पवित्र गंगा में स्नान करते हैं।
इसी दिन भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागे थे। दक्षिण भारत में इसे पौंगल के नाम से मनाते है जबकि पंजाब हरियाणा मे इससे एक दिन पहले आर्थात 13 जनवरी को लोहडी़ के नाम से मनाते है।
इस दिन दान पुण्य करने का बहुत महत्तव है गायौ को चारा खिलाते है। तिल व गुड़ की रेवडी़ व मूँगफली बाँटते है। गरीबौ को गर्म कपडे़ बाँटते है। जगह जगह भन्डारौ का आयोजन किया जाता है। इस तरह इस दिन का बहुत महत्व है।
आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
Gunjan Kamal
20-Jan-2023 04:40 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Varsha_Upadhyay
16-Jan-2023 08:35 PM
शानदार
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madhura
16-Jan-2023 12:35 PM
nice one
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